
‘बिग बॉस 19’ अब पॉलिटिक्स का लाइव ट्रेलर बन चुका है। जहां हर हफ्ते नया गठबंधन, नया वॉर और नए ‘मास्टरस्ट्रोक’ देखने को मिलते हैं। इस बार सुर्खियों में हैं – बसीर अली, जो कैप्टेंसी खत्म होते ही पहले सुस्त पड़े, फिर अकेले हुए और अब नेहल चुडासमा के दरवाज़े पर वोट मांगने पहुंच गए हैं।
अमाल ने दिया धोखा, बसीर हुए आउट ऑफ प्रायोरिटी
बसीर का कहना था, “भाईचारा सब दिखावा है।” और ये बात उन्हें नॉमिनेशन टास्क में अच्छे से समझ आ गई — 0 वोट, मतलब ज़ीरो सपोर्ट।
जहां जीशान ने शहबाज़ और तान्या को बचाया, वहीं अमाल ने नीलम और जीशान को सेव किया।
बसीर बेचारे ‘मोनोलॉग’ मोड में चले गए — “मुझे क्यों नहीं चुना?”
बसीर का मास्टर प्लान: दोस्ती से धोखा, धोखे से दोस्ती
जिस नेहल चुडासमा को बसीर ने वीकेंड का वार पर सरेआम ‘toast’ किया था, अब उसी से दोस्ती की चाय पीने जा रहे हैं।
बसीर की लॉजिक – “हमारी लड़ाई में दूसरों को फायदा हो रहा है। चलो फिर से दोस्त बनते हैं।”
इसका मतलब?
फरहाना भट्ट का वोट + नेहल की सॉरी कार्ड = बसीर का गेम रिवाइवल।
‘गिरगिट मूव’ या ‘गेमप्ले जीनियस’? दर्शक हैं कन्फ्यूज़
अब सोशल मीडिया पर सवाल ये उठ रहा है — क्या बसीर का ये कदम “गिरगिट मोमेंट” है या “गेम मास्टरमाइंड”?
क्योंकि दोस्ती का यह साया, वोट का है माया! और बिग बॉस में “सॉरी बोलना” सिर्फ स्ट्रैटेजी होती है, इमोशन नहीं।

“बसीर की दोस्ती एक्सपायरी डेट के साथ आती है”
अगर बिग बॉस हाउस में डेट ऑफ मैन्युफैक्चरिंग और एक्सपायरी डेट के साथ दोस्ती बिकती, तो शायद बसीर अली का नाम टॉप सेलर में होता।
पहले दोस्त बनो, फिर नाम काटो, फिर हाथ जोड़ो — बसीर की रणनीति में पलटी ही असली राजनीति है।
बसीर अली के ‘बिग बॉस पथ’ पर अब नेहल की नई परछाई?
बिग बॉस 19 में जहां हर दिन रिश्तों का रिमिक्स बनता है, वहीं बसीर अली अब नेहल की धुन पर वोटों की ताल मिलाते दिख रहे हैं।
अब देखना ये होगा कि नेहल के हाथ में हार्मोनियम है या हथौड़ा – बसीर की गेम में सुर लगेगा या चोट?
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